“मेरे प्रिय बापू” के फ्लावर्सको समर्पित
संसार के कल्याण हेतु निरंतर भजन करनेवाले परम् भजननंदी संत यानि “मेरे प्रिय बापू” |
मेरे प्रिय बापू (2024)
जय सियाराम, मेरे प्रिय बापूकी जीवनशैली देखने के बाद मुझे तो ऐसा ही लगता है कि, भजन ही बापूका आहार है, भजन ही उनका विहार है और भजन ही उनका विश्राम है | प्रकृति की हरेक वस्तु जैसे दुसरोंके लिये होती है, वैसे ही पूज्य बापू संसार के कल्याण हेतु निरंतर भजन करते है | साधकको अपना भजन तभी सफल हुआ समझना चाहिये; ज़ब उनको भजन करनेसें परम् विश्रामकी प्राप्ति हों और उनके भजनसें दुसरो का कल्याण हों |
भजन स्वार्थी नहीं बल्कि परमार्थी होना चाहिये | पूज्य बापूका भजन परमार्थी है, वो दुसरोके कल्याण हेतु निरंतर भजन करते है |पूज्य बापूके श्रीमुखसें ही एकबार मैंने सुना था कि, “भजन परमात्मासें भी बड़ा है क्योंकि भजनमें परमात्माको भी अपने वशमें करने की ताकत है और रामचरितमानसमें इसबात का प्रमाण भी है,
सुमिरी पवनसूत पावन नामु |
अपने बस करि राखे रामु ||