गृहस्थ के कर्तव्य | Gruhsth Ke Kartvy

घरमें अगर आप सुख-शांति-समृद्धि चाहते हों, तो इन 9 वस्तुओका अवश्य ख्याल रखे |

दक्षस्मृतिमें वर्णित ‘नव-नवक’ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है | इसमें गृहस्थ व्यक्तिके कल्याण हेतु नौ प्रकारकी नौ-नौ बातोंका वर्णन किया गया है |

नौ मंगलकारक अवश्य करने योग्य बातें –
1.सौम्य मन,
2.सौम्य द्रष्टि,
3.सौम्य मुख,
4.सौम्य वचन,
5.उठकर अतिथिका स्वागत करना,
6.अतिथिको योग्य आसान देकर उनकी कुशलता पूछना,
7.अतिथिके साथ स्नेहपूर्वक वार्तालाप करना,
8.यथा-योग्य अतिथिकी सेवा करना,
9.ज़ब वह जाने लगे तो उसके पीछे-पीछे पहुँचानेके लिये कुछ दूर तक जाना |

नौ अन्य करनेयोग्य बातें-
ज़ब अतिथि हमारे घर पधारे, तब यह नौ बातें विशेषरूपसें करनी चाहिये |

1.अतिथिको योग्य स्थान देना,
2.जल प्रदान करना,
3.आसन पर बैठाना,
4.अतिथिके रूपमें कोई साधु-संत पधारे तो उनके चरण धोना,
5.अभ्यंग देना,
6.आश्रय देना,
7.अतिथि अगर रुकना चाहे तो उनके लिये शय्याकी वेवस्था करना,
8.यथाशक्ति भोजन कराना,
9.मिट्टी और जल देना |

नौ आवश्यक कर्म –
नौ ऐसे कर्म है, जो ब्राह्मण द्वारा प्रीतिदिन करने योग्य है |

1.संध्या,
2.स्नान,
3.जप,
4.यज्ञ,
5.स्वाध्याय,
6.देवपुजन,
7.बलिवैश्वदेव,
8.अतिथिकी सेवा,
9.यथाशक्ति देव-पितृ-मनुष्य, दीन, अनाथ, तपस्वी, माता-पिता एवं गुरु आदिको यथाविधि यथायोग्य भोजन, जल तथा अंजलिसें संतुष्ट करना |

नौ विकर्म अथवा निंदित (न-करने योग्य कर्म)
मनुष्यको निम्नलिखित कर्म कभी भी नहिं करने चाहिये |

1.असत्य बोलना,
2.परदारा सेवन (पत्नीके अलावा अन्य स्त्रीके साथ कभी भी सम्बन्ध नहिं रखने चाहिए),
3.अभक्ष्य-भक्षण,
4.मदिरा पान,
5.अगम्यागमन,
6.हिंसा,
7.चोरी,
8.वेदबाह्य कर्मोका आचरण तथा
9.मैत्र धर्मका निर्वाह न करना |

नौ परम् गोपनीय बातें
नौ परम् गोपनीय बातें है, जिन्हे कभी प्रकट नहीं करना चाहिये |

1.अपनी आयु,
2.धन,
3.घरका कोई भेद,
4.मंत्र,
5.मैथुन,
6.औषधी,
7.तप,
8.दान और
9.अपमान |

नौ प्रकाशमें लानेयोग्य बातें-
नौ बातें ऐसी है, जो व्यक्तिको अवश्य प्रकट कर देनी चाहिए |

1.प्रायोग्य (ऋण लेनेकी बात),
2.ऋण शुद्धि (ऋणसें मुक्त होने की बात),
3.दानमें मिली वस्तुकी बात,
4.अध्ययन,
5.विक्रयकी गुप्त वस्तु,
6.कन्यादान,
7.वृशोत्सर्ग,
8.एकांतमें किया गया पाप और
9.अनिंदित कर्म |

नौ सफल बातें
नौ प्रकारके मनुष्यको जो कुछ भी दिया जाता है, वह सफल एवं अक्षय हों जाता है |

1.माता,
2.पिता,
3.गुरु,
4.सदमित्र,
5.विनयी,
6.उपकार करनेवाला,
7.दीन,
8.अनाथ और
9.सज्जन, साधु, महात्मा व्यक्ति |

नौ निष्फल बातें-
नौ प्रकारके व्यक्ति ऐसे है, जिन्हे कुछ भी दिया जाए वह निष्फल ही होता है |

1.धूर्त,
2.वंदी,
3.मुर्ख,
4.अयोग्य,
5.जूठी प्रशंसा करनेवाले,
6.जुआरी,
7.शठ,
8.चाटुकर,
9.चोर

आपत्तिकालमें भी अदेय नौ वस्तुऐ-
नौ ऐसी वस्तुओ जो आपत्तिकालमें भी किसी दूसरेको नहीं देना चाहिये |

1.सर्व सामान्य जनताकी सम्पति,
2.चंदेकी राशि,
3.धरोहरकी संपत्ति,
4.बंधनकी वस्तु,
5.अपनी पत्नी,
6.पत्नीका धन,
7.जमानतकी सम्पति,
8.किसी के अमानतकी वस्तु और
9.संतान परम्पराके होनेके बावजूद अपनी सम्पूर्ण सम्पति |

ऋषि-मुनिओंका स्पष्ट कहना है कि, जो भी व्यक्ति ऐ सभी नौ-नौ बातोंको ध्यानमें रखकर आचरण करेंगा; उनके घर सदैव सुख, शांति और समृद्धि बनी रहेंगी |
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