हनुमानजीके कल्याणकारी 12 नाम

श्रीहनुमानजी महाराज कलियुगमें अति-शीघ्र प्रसन्न होनेवाले देव है | कलियुगमें जो व्यक्ति हनुमानजी की उपासना करता है, उनके नामका स्मरण करता है, उनपर रामजी, सीताजी, शिवजी, पार्वतीजी एवं अन्य सभी देवी-देवताऐ प्रसन्न रहते है | इसलिये हनुमानजी का स्मरण करना बहुत आवश्यक है |
वैसे तो हनुमानजी को प्रसन्न करने के अनेक मार्ग है, पर आज में आपको एकदम सरल मार्ग बताने जा रहा हूँ | अगर आप हनुमानजी की लम्बी-चौड़ी उपासना करने में असमर्थ है, तो प्रातःकाल उठकर हनुमानजीके इन 12 नामका स्मरण करें | ये नाम निम्नलिखित श्लोकोमें वर्णित है,
हनुमान्जनसुनुर्वायुपुत्रो महाबलः ।
रामेष्टः फाल्गुनसखः पिङ्गाक्षोऽमितविक्रमः ॥1॥
उद्धिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः ।
लक्ष्मणप्राणदाताश्च दशग्रीवस्य दर्पहा ॥2॥ (आनंदरामायण 8/13/8-11)
श्लोकके अनुसार उनका एक नाम तो “हनुमान” है ही, दूसरा “अंजनीसुनू”, तीसरा “वायुपुत्र”, चौथा “महाबल”, पाँचवा “रामेष्ट” (रामजीके प्रिय), छठ्ठा “फाल्गुनसख” (अर्जुनके मित्र), सातवा “पिंगाक्ष” (भूरे नेत्रवाले), आठवा “अमितविक्रम”, नवा “उदधिक्रमण” (समुद्रको अतिक्रमण करनेवाले), दसवा “सिताशोकविनाशन” (सीताजीके शोकको नाश करनेवाले), ग्यारहवा “लक्ष्मणप्राणदाता” (लक्ष्मणको संजवनीबुट्टी द्वारा जीवित करनेवाले) और बारहवा नाम है- “दशग्रीवदर्पहा” (रावणके घमंडको दूर करनेवाले) |
“हनुमान”
“अंजनीसुनू”
“वायुपुत्र”
“महाबल”
“रामेष्ट”
“फाल्गुनसख”
“पिंगाक्ष”
“अमितविक्रम”
“उदधिक्रमण”
“सिताशोकविनाशन”
“लक्ष्मणप्राणदाता”
“दशग्रीवदर्पहा”
ये बारह नाम श्रीहनुमानजीके गुणोंके घोतक है | सीतारामजीके प्रति जो सेवा कार्य उनके द्वारा हुए है, उन सबकी ओर इन्ही नामो द्वारा संकेत हों जाता है और साथो-साथ हनुमानजी की स्तुति भी हों जाती है |
जो भी व्यक्ति प्रात: काल सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।
दोपहर में नाम लेनेवाला व्यक्ति धनवान होता है।
दोपहर संध्या के समय नाम लेनेवाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है।
रात्रि को सोते समय नाम लेनेवाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है।
चलते-फिरते, खाते-पीते, जागते-सोते निरंतर हनुमानजी के इस 12 नामका स्मरण करें |