विजयादशमी क्यों मनाई जाती है | Vijyadashmi kyo manayi jaati hai

“विजयादशमी और ज्योतिषशास्त्र”

विजयादशमी

विजयादशमी हमारे हिन्दू धर्मका एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है | इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचंद्रजी ने नवदिन तक भगवती माँ दुर्गाकी उपासना करके शक्ति संचय करके अत्याचारी रावण पर चढ़ाई करने लिये प्रस्थान किया था और फल स्वरूप नीति की अनीति पर, धर्म की अधर्म पर, सत्य की असत्य पर और सात्विक शक्ति ने तामसिक शक्ति पर विजय प्राप्त की थी | आज उसी की पवित्र स्मृतिमें हम रावणकी तमोमयी दानवमूर्ति को जलाते है | विजयादशमीके दिन रावणवध का अभिनय किया जाता है | रामलीला भारतवर्षमें स्थान-स्थान पर खेली जाती है | जिसका सात्विक प्रभाव बालक, युवान, वृद्ध, स्त्री-पुरुष सभी पर पड़ती है | आजके दिन सभी को एक महत्त्वपूर्ण उपदेश प्राप्त होता है कि, अन्यायीका और अत्याचारीका एक न एक दिन नाश अवश्य होता है | वह चाहे कितना भी प्रबल क्यों न हों पर उसे सत्यसें पराजित होना ही पड़ता है |


ज्योतिषशास्त्रकी द्रष्टिसें इस दिन विजयका शुभ मुहर्त होता है जो सम्पूर्ण कार्योंके लिये सिद्धप्रद होता है | ज्योतिनिर्बधमें लिखा है,

आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्याम् तारकोदये |
स फालो विजयो श्रेय: सर्व कार्यार्थ सिद्धये ||

अर्थात- आश्विनी शुक्ल पक्षकी दशमीको तरकोदयके समय “विजय” नामक मुहूर्त होता है, जो की सम्पूर्ण कार्योमें सिद्धप्रद होता है | इस दिन क्षत्रिय लोग सीमाका उल्लंघन करते है, जिससेकी प्रगति हो | प्रभु श्रीरामचंद्रजी ने इसी पूर्ण तिथिमें लंका विजयके लिये प्रस्थान किया था |


राजा लोग इसी दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्य कर्मसें निवृत होकर, संकल्पपूर्वक देवताओं का तथा अस्त्र-शस्त्रादि का पूजन करते है तथा सु-सज्जित होकर अश्व पर आरुढ़ होकर नगर के बाहर जाकर शमी वृक्षका पूजन करते है | विजय और वीरता इस पर्वकी विशेषता है | विजयादशमीमें रामलीलामें रावण वध देखनेके लिये बहुत बड़ा मेला स्थान-स्थान पर लगता है, जो हमें संगठन और एकताके साथ-साथ राष्ट्रीय चेतना प्रदान करती है तथा विजय और वीरताका प्रतिक है | हरेक हिन्दूको हमारे इस पावन पर्वको उत्साह और स्फूर्तिके साथ मनाना चाहिये | पर्व मनानेके साथो-साथ वीरताकी भावनाको घनीभुत और दृढ़ करके दानवता पर विजय प्राप्त करें और समाजमें मानवताका साम्राज्य स्थापित करें | अपने महानपुरुषोके पदचिन्हो पर चलकर देशको उन्नतिके शिखर पर ले जाये |

राष्ट्रमें धार्मिकताके द्वारा एकता, संगठन और चरित्रका निर्माण होता है | अगर आप अधर्म, अनीति और असत्य पर विजय प्राप्त करने चाहते है, तो विजयादशमीके दिन संकल्प करकें, विजयप्राप्तिके लिये प्रस्थान करें | आपको अवश्य विजयकी प्राप्ति होंगी |

श्रीरामकथाकार – पुनीतबापू हरियाणी

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