हिन्दू धर्म में शिखा का महत्व
भारतीय संस्कृतिमें शिखा हिन्दुत्वका प्रतिक है | मस्तक विद्याके आचार्योका कथन है कि, शिखा स्थान मस्तिष्क की नाभि है, यह केंद्र स्थान है | इस केंद्रसें उन सूक्ष्म तंतुओं का संचालन होता है, जिनका प्रसार समस्त मस्तिष्क में हों रहा है तथा जिनके बलपर अनेक मानसिक शक्तियोंका पोषण तथा विकास होता है | ऐसे महत्त्वपूर्ण मर्मस्थान पर शिखा एक सुरक्षा कवच के समान रहती है | शिखा के बालोसें अनावश्यक सर्दी – गर्मी का दुष्प्रभाव उस स्थान पर नहीं पड़ता और उसकी सुरक्षा इससे सदा बनी रहती है | शिखासें वासनाओं का शमन होता है | शिखाके बाल आकाश सें प्राण वायु तथा अन्य पोषक शक्तिओके खींचते रहते है ; जिससे मस्तिष्क चैतन्य, स्वस्थ, पुष्ट और निरोगी रहता है | शिखा दैवी संदेशोको प्राप्त करने का एक स्तम्भ है | शिखासें मनोबल की वृद्धि होती है | प्राचीनकालमें किसी को दंड देने, तिरस्कृत तथा अपमानित करने के लिये उसका सिर मुंड दिया जाता था, जिससे उसका मनोबल गिर जाता था | शिखा स्पर्शसें शक्तिका संचार होता है |
मुंडन संस्कारमें बाल्यावस्था में अन्य केशो को हटाकर एक शिखा रख दी जाती है | यह हिन्दू धर्ममें एक विशेष चिन्ह माना जाता है | ब्रह्मरन्ध्र के द्वारा सूर्य से प्राणशक्ति तथा अन्य शक्ति आती रहती है | शिखा जहाँ पर होती है वह स्थान तो एक बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है, सम्पूर्ण नड़ियों का पुंज वहाँ पर रहता है | वह स्थान शक्तिका एक प्रधान केंद्र है | ब्रह्मरन्ध्र के इस स्थान पर शिखा के द्वारा केंद्र की रक्षा होती है तथा बाहरसें शक्ति खींचनेमें सहायता मिलती है और अंदर की सुरक्षित शक्ति बाहर न निकलने पावे इस हेतु शिखा ग्रंथि बंधन द्वारा आंतरिक शक्तिकी भी रक्षा होती है |
ध्यान तथा योग साधनाके समय शक्ति तथा ओज का आकर्षण इसी स्थानसें होता है, जिसमे शिखासें बहुत बड़ी सहायता मिलती है |
जिस प्रकार रेडियोके एरियल सें आवाज पकड़ी और खींची जाती है, उसी प्रकार शक्ति का आकर्षण शिखासें होता है और जिस प्रकार साइकल के वालट्यूब सें हवा भरी तो जाती है परंतु बाहर नहीं निकल पाती उसी प्रकार शिखा की गांठसें शक्ति बाहर नहीं निकल पाती | चाणक्यने तो शिखा को हाथमें लेकर नंदवंशके नाश करने की प्रतिज्ञा की थी |
सभी हिन्दूओं को शिखा अवश्य रखनी चाहिये क्योंकि शिखा और तिलक हमारी आन-बान-शान है | आजकल हिन्दू ही शिखा और तिलक की उपेक्षा करने लगा है, वह हमारे धर्मके लिये हानिकारक है |
Author – Shree Ramkathakar Punitbapu Hariyani