“मेरे प्रिय बापू” | Katha sunne ke fayde (Post No: 4)

काम, क्रोध, लोभादि कष्टदायक विकारोमें आसक्त जीवोंको कथाके माध्यमसें सचेत करके; उनको प्रभुभक्तिमें लगानेवाले परम् उपकारी संत यानी मेरे प्रिय “बापू” |

“पूज्य बापू की वैश्विक रामकथा

श्रीरामचरितमानसमें तुलसीदासजीने काम, क्रोध, लोभ, मद आदि विकारोको नर्क के द्वार बताये है | इसमें भी काम, क्रोध और लोभको तो अतिखल कहाँ है | इसलिये प्रत्येक मनुष्यको विकारोका सर्वदा त्याग करना चाहिये, इससे बचना चाहिये | पूज्य बापू विकारोको जितने का एक सरल मार्ग बताते है कि, काम, क्रोध और लोभ जैसे विकारो को जितने का एक सहज और सरल उपाय है – “प्रभु प्रेम” और प्रेम का प्राकटय होता है, प्रभु के नाम-स्मरणसें, प्रभुके पावन चरित्रकी कथा श्रवणसें | पूज्य बापूके वचनामृतसें स्पष्ट होता है कि, निरंतर कथा श्रवणसें विकारोका नाश होता है और जीवन सत्य, प्रेम और करुणामय बनता है |


रामकथा सुनने की महिमा अपार है, एक सुंदर दृष्टांतके माध्यमसें पूज्य बापू हमे समझाते है – ज़ब एक व्यक्ति स्वर्ग जाता है तो वहाँ उसको पूछताछ होती है | पहला तो ये प्रश्न पूछा जाता है कि, आप कहासें आये हों? इस प्रश्नके उत्तरमें ज़ब जीव कहता है कि, मैं भारतसें आया हूँ, तो सभी देवगण उठकर उनका स्वागत करते है क्योंकि भारतवासियों को वहाँ सम्मान दिया जाता है | देवता भी भारतकी भूमि पर अवतरित होना चाहते है | दूसरा प्रश्न पूछते है कि, आपने धरती पर क्या किया? तब जीव अपने किये हुए सतकर्म गिनाने लगता है कि, हमने यज्ञ किये, दान दिया, पूजा-अर्चना की आदि-आदि | यह सुनकर देवता उदास हों जाते है | उनके उदास चेहरे देखकर जीव पूछता है, क्या हुआ? हमने कुछ गलत कहाँ? कुछ गलत किया? तो देवता कहते है कि, तुम भारतसें आये हों, तमने यज्ञ किये, दान दिया, अन्य सतकर्म किये, तीर्थयात्रा करके आये इसके लिये तुमको धन्यवाद लेकिन साधु-संतोके मुखसें कथा सुनकर नहीं आये ऐ तेरा दुर्भाग्य है | क्या बड़प्पन लेकर आया है ज़ब तूने भगवत्चरित्र न सुना? इस प्रसंगसें कथा सुननेकी महिमा उजागर होती है |


भगवान की कथा हमें 2 गोली देती है | इसमें एक गोली ऐसी है जो हमको बेहोश कर देती है और एक गोली ऐसी है जो हमको जागृत कर देती है | दोनों दवा ही है | व्यासपीठ औषधालय है, न्यायालय नहीं है | कथा सुननेसें हमारी आसुरी सम्पदा बेहोश हों जायेगी, धीरे-धीरे समाप्त हों जायेगी और दैवी सम्पदा जागृत हों जायेगी | सरल भाषामें कहे तो भ्रम मिट जाता है, ब्रह्म प्रकट हो जाता है |

श्रीरामकथाकार – पुनितबापू हरियाणी

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