सत्य बोलनेका महत्व
पूर्णतः विचार करके, किसी के भी ह्दयको ठेस न पहुँचे; ऐसे कोमल एवं सत्य वचन बोलनेवाले परम् मृदुभाषी संत यानी “मेरे प्रिय बापू” |
पूज्य बापूका यह स्वभाव और आग्रह रहा है कि, जीवनमें सदैव सत्य ही बोलना चाहिये क्योंकि “सत्य मेव जयते” | मुझे लगता है कि, बोलना कठिन नहीं है किन्तु सत्य बोलना, वह भी अन्य किसी के ह्दयको चोट पहुँचाये बिना सत्य बोलना बहुत कठिन कार्य है | पूज्य बापू हमें एक मंत्र प्रदान करते है कि, आपके मुखसें जो शब्द निकलता है, वो शब्द साक्षात् ब्रह्म है | जिस तरह हम ब्रह्मकी उपासना करते है बिलकुल उसी तरह हमें शब्दकी भी उपासना अवश्य करनी चाहिये | हम सें कभी भी शब्दका अनुचित उपयोग न हों उसकी दरकार रखनी चाहिये | हमारे जीवनमें पानी का जितना महत्त्व है, उतना ही महत्त्व हमारी वाणी का भी है | इसलिए अगर हमारी वाणी कर्णप्रिय और कोमल होंगी तो हम समाजमें प्रिय होंगे किन्तु अगर हमारी वाणी कठोर होंगी तो हम अप्रिय हों जायेंगे | समाजमें हमें मान-सम्मान नहीं मिलेगा | पूज्य बापूने अपने आचरण सें हमें सिखाया है कि, वाणी का उपयोग बहुत सोच समझकर करना चाहिये |